उसका दोष क्या है भाग - 11 15 पार्ट सीरीज
उसका दोष क्या है (भाग -11)
कहानी अब तक
रमेश विद्या और उसके घर वालों को विद्या से विवाह के लिए प्रस्ताव देता है,वे भी इस पर विचार करने का आश्वासन देते हैं।
अब आगे
रमेश के जाने के बाद विद्या के माता पिता आपस में विचार करने लगे। उन्होंने अपने बेटों से भी इस सम्बन्ध में राय-विचार लिया,और फिर सर्वसम्मति से तय किया रमेश का प्रस्ताव मान लेने का। विद्या ने विरोध किया,उसे शंका थी इस विवाह में। उसे लगा यह विवाह उचित नहीं होगा क्योंकि रमेश शादीशुदा है,इसलिए वह विवाह नहीं करना चाह रही थी। एक घर में वह सपत्नी के साथ रहना नहीं चाह रही थी परंतु माता-पिता और भाइयों ने उसे बहुत कुछ ऊंच-नीच समझाकर तथा समाज आदि का वास्ता देकर विवाह के लिए तैयार किया।
माता पिता और भाइयों के समझाने के बाद फिर उसने दूसरी दिशा में सोचना प्रारंभ किया। अविवाहित रहने के कारण हर जगह उसके ऊपर कई प्रश्नवाचक उंगलियां उठती थी। कोई कुछ बोले नहीं फिर भी आंखों-आंखों में और मुस्कान की भाषा में ही एक दूसरे से बहुत कुछ कह जाते थे लोग। कई बार तो बस में आते जाते भी लोग उससे पूछ बैठते थे अविवाहित रहने का कारण। लोगों के अत्यधिक पूछताछ के भय से ही उसने गोला में रहना भी स्वीकार नहीं किया था। रांची से ही आती-जाती थी,एक दिन भी वहां नहीं रहती थी।
अब यदि वह विवाहित हो जाती है तो लोगों का मुंह बंद हो जाएगा। किसे पता चलेगा कि उसका पति पूर्व से विवाहित है या नहीं। रमेश या उसके परिवार को इस विवाद से कोई आपत्ति ही नहीं है, एक संगीता के विरोध का भय है। आप जैसा कि रमेश कह रहे हैं,यदि वह भी स्वेच्छा से विवाह की स्वीकृति दे देती है,तो विवाह करने में कोई बुराई नहीं है।
यदि वह रमेश आपस में विवाह कर लेते हैं तो कई सारी दुश्वारियां उसके जीवन से समाप्त हो जाएंगी। वह सामाजिक रूप से उसकी पत्नी रहेगी, और आए दिन जो उसे समाज में,आते जाते रास्ते में,अपने विभाग में,अविवाहित रहने के लिए प्रश्नों का सामना करना पड़ता है,उन प्रश्नों से बचेगी। यदि वह किसी को नहीं बताएगी तो कैसे किसी को पता चलेगा रमेश की एक और पत्नी है!
ऐसे भी उसका दिल रमेश के अतिरिक्त किसी और से विवाह के लिए तो तैयार ही नहीं है। उसे पुनः रमेश का समीप्यऔर प्यार प्यार मिलेगा। रमेश ने भी उसे बहुत समझाया कि वह दोनों में किसी के साथ भी अन्याय नहीं होने देगा। संगीता घर संभालेगी,और विद्या रमेश मिलकर बाहर के सभी काम देखेंगे। विद्या वैसे भी नौकरी कर रही है तो घर के लिए उसके पास समय कम होगा,जिसकी पूर्ति संगीता कर देगी।
इस तरह कुछ रमेश के समझाने पर, कुछ माता-पिता के दबाव में,और कुछ रमेश का प्रेम अभी भी दिल की गहराई तक बसे होने के कारण विद्या विवाह के लिए मान गई।
विद्या और रमेश का विवाह हो गया। इस विवाह में रमा भी आई थी परंतु विद्या को उसके चेहरे पर वह खुशी नहीं दिखाई दी जो उसने मोहन भैया के विवाह में देखा था। उसने कई बार पूछा भी परंतु खामोश ही रही रमा। बहुत पूछने पर उसने इतना ही कहा -
"काश विद्या तुम रमेश भैया की जिंदगी में संगीता भाभी के पहले आती। मुझे लगता है यह सब उचित नहीं हुआ है। तुम तीनों के लिए यह विवाह कहीं दु:ख का कारण न हो जाए। मैं चाह कर भी प्रसन्न नहीं हो पा रही,मुझे क्षमा करना विद्या"।
विवाह के समय संगीता अपने मायके गई थी कुछ दिन बाद रमेश के माता पिता संगीता को उसके मायके से लिवाकर गांव चले गए। विद्या ने जब सास ससुर के गांव जाने का कारण पूछा, रमेश ने बताया - "वहां की खेती भी देखनी होती है इसलिए मां बाबूजी अक्सर गांव में रहते हैं। और वे गांव में हैं इसलिए संगीता भी गांव में ही रहेगी उनकी देखभाल के लिए"।
फिर थोड़े रोमान्टिक अन्दाज में कहा -
"हम नवविवाहित हैं तो हमें एकान्त भी तो चाहिये"।
विद्या ने कुछ भी नहीं कहा, वह मौन मुस्कराहट बिखेर कर रह गई। विद्या नौकरानी की सहायता से घर भी संभालती और अपना स्कूल भी संभालती । विवाह के समय एक महीने की छुट्टी ली थी जो अब समाप्त हो चुका था,और उसने पुन: स्कूल में योगदान दे दिया था। विद्या के जीवन में खुशियों का समावेश हो चुका था,वह भूल गई थी कि रमेश की एक और पत्नी भी है।
रमेश अपने व्यापार के सिलसिले में बीच-बीच में कई दिन के लिए शहर के बाहर चला जाता। रमेश के अनुसार उसका व्यापार पूरे झारखंड में फैल रहा था। इसके सफल संचालन और सही व्यवस्था के लिए उसे बाहर जाना ही होगा। अपने माता-पिता की इकलौती संतान होने के कारण व्यवसाय की पूरी जिम्मेवारी उसी की है। गांव की खेती का काम उसके माता-पिता ही देखते थे। वे कुछ दिन गांव में रहते और फिर वापस आ जाते। परन्तु संगीता गाँव में ही रहती। विद्या और रमेश का वैवाहिक जीवन सुख पूर्वक व्यतीत हो रहा था।
कथा जारी है।
क्रमशः
निर्मला कर्ण
Madhumita
27-Jun-2023 03:37 PM
Nice 👍🏼
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डॉ. रामबली मिश्र
08-Jun-2023 06:56 PM
बेहतरीन भाग
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